2008-2013 लगातार

मन उदास और व्याकुल लेकिन इस साल एक उत्साह एक उंमग..शायद मैं सफल हो जाऊं..और शायद सफल न हो सकूं। पर हां इस साल सही मानो में मेरा जीवन किस दिशा में जाएगा मुझ को और सब को पता चल जायेगा। ज़िन्दगी में बड़े फैसले किस वजह से लिए ये सिर्फ मुझ को पता है वो राज़ भी मैं तभी खोल सकूगां जब मैं कुछ कर पाऊंगा ..अगर नहीं तो फिर कुछ भी नहीं ... कुछ कर पाने का अर्थ है जिसमें नाम और पैसा दोनो की हिस्सेदारी बराबर से हो ... आजकल प्रेमचंद को पढ रहा हूं.. कहानी कविता उपन्यास कैसे लिखे जाए.और कैसे लिखे जा सकते हैं सब पता कर रहा हूं ..हां मैने बहुत कुछ लिखा इस बीच 7 एकांकी..देखिए आगे क्या होता है ..आजकल वैसे भी ब्लाग मैं दोस्तों की तादाद कम हो गई है फिर भी मैं कोई बड़े उद्देश्य के साथ ब्लाग से नहीं जुड़ा था ।मन की बात कहने के लिए ब्लाग के साथ आया था औऱ मन की बात ब्लॉग में कहता रहुगा..तभी लगातार 2008 से 2013 तक लिख रहा हूं..

Comments

PD said…
लिखते रहिये. हम कमेन्ट तो शायद आपके यहाँ कभी नहीं किये हैं पर शायद आपको 2009-2013 तक पढने का रिकार्ड है. :)
शुभकामनाएं.

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