त्याग पत्र
आज ऑफिस पहुचां तो एक और विकेट गिर गया था ..यानि एक और सज्जन ने नोकरी छोड़ दी ।छोड़ी या उनसे से छोड़ने को कहा गया ..ये सभी समझते हैं पर सब उसी बात पर विशवास करने की कोशिश करते हैं जो उनको समझाई जा रही होती है।
यानि सच जानते हुये,झूठ पर यकीन करना ,झूठ सुनना, समझना दूसरों को झूठ बताना यही पेशा है ... औऱ इस पेशे में जो होता है, हो रहा है वो ही सच है ....
आज कल टीवी में एक शब्द चल रहा सूत्रों से .सूत्रों के हवाले से ..हमारे सूत्रों ने बताया,हमारे सूत्र कह रहे हैं.. ये सूत्र क्यां है ..सिर्फ और सिर्फ बॉस और पब्लिक को बेवाकूफ बनाने वाला वो शख्स जिसको किसी ने नहीं देखा पर जिसकी बातों को सबने सुना..जब टीवी में न्यूज़ आनी शुरू हुई थी तब ये साफ साफ कहा गया था कभी आप सूत्र जैसे शब्द का इस्तमाल नही करगे है। पर सब कुछ बदल गया नौकरी करनी है जो कैबीन से आने वाले सूत्र कहे वो लिख दो..वरना सूत्र उनको कुछ और बता देगें.....
खैर आप को इस ज्ञान से क्या लेना आपको मसाला चाहिये कि भाई आज कौन सा राज़ खोलेगें... आज कहानी नहीं लिखूं आपको नौकरी करने के गुण बतातऊं..ये बात भी सही है इन बताये गये नियमों में से मैं इन सब को मान रहा हूं या नहीं .ये मत पूछियेगा...तो सुनिये
पहला- जिसके पास कुर्सी है ,जो कुर्सी पर बैठा है वो ही आप का बॉस है ...यानि आप उसके आदमी होने चाहिये जो सत्ता में है ..
दूसरा- पहले नियम से जुड़ा हुआ है .. अगर आप के ऊपर की कुर्सी बदल गयी तो आप भी बदल जायें..नहीं तो आपको ही बदल दिया जायेगा...
तीसरा- देखिये जो आपके ऊपर बैठा है वो ही समझदार है ..ये बात गांठ बांघ लिजिये
आप उससे ज्यादा नहीं जानते इसपर विशवास किजिये...
चौथा- जी सही कहे रहें है.अभी कर देता हूं..हा जी ठीक बात है...बहुत अच्छा..ये आप को हरदम कहना है .हर वक्त कहना है ..
पंचवा- ये याद रखिये ,आप नौकरी कर रहे हैं आप नौकर है ..घर की किस्त देनी है बच्चों को पढाना है बीवी को घुमाना है .. अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास..हमेशा रहे याद...
छठा-सब से अहम बॉस के काम करना जैसे शाम को शराब ला कर देना ,टिकट बुक कराना ..
मिनिस्टर से काम कराना गांव से आम और अनाज पहुचाना.. सर के आते ही उनके बच्चे का हाल और कपड़ो की तारीफ और कल किए गए उनके निर्णय की वहावाही करना मत भूलियेगा....
जब इन नियमों का आप पालन नहीं करेगे तो आप को त्याग पत्र देना ही
होगा... उसने क्यों दिया मेरे सूत्रों ने बता दिया है मै आप को अगली पोस्ट में बताऊंगा....
यानि सच जानते हुये,झूठ पर यकीन करना ,झूठ सुनना, समझना दूसरों को झूठ बताना यही पेशा है ... औऱ इस पेशे में जो होता है, हो रहा है वो ही सच है ....
आज कल टीवी में एक शब्द चल रहा सूत्रों से .सूत्रों के हवाले से ..हमारे सूत्रों ने बताया,हमारे सूत्र कह रहे हैं.. ये सूत्र क्यां है ..सिर्फ और सिर्फ बॉस और पब्लिक को बेवाकूफ बनाने वाला वो शख्स जिसको किसी ने नहीं देखा पर जिसकी बातों को सबने सुना..जब टीवी में न्यूज़ आनी शुरू हुई थी तब ये साफ साफ कहा गया था कभी आप सूत्र जैसे शब्द का इस्तमाल नही करगे है। पर सब कुछ बदल गया नौकरी करनी है जो कैबीन से आने वाले सूत्र कहे वो लिख दो..वरना सूत्र उनको कुछ और बता देगें.....
खैर आप को इस ज्ञान से क्या लेना आपको मसाला चाहिये कि भाई आज कौन सा राज़ खोलेगें... आज कहानी नहीं लिखूं आपको नौकरी करने के गुण बतातऊं..ये बात भी सही है इन बताये गये नियमों में से मैं इन सब को मान रहा हूं या नहीं .ये मत पूछियेगा...तो सुनिये
पहला- जिसके पास कुर्सी है ,जो कुर्सी पर बैठा है वो ही आप का बॉस है ...यानि आप उसके आदमी होने चाहिये जो सत्ता में है ..
दूसरा- पहले नियम से जुड़ा हुआ है .. अगर आप के ऊपर की कुर्सी बदल गयी तो आप भी बदल जायें..नहीं तो आपको ही बदल दिया जायेगा...
तीसरा- देखिये जो आपके ऊपर बैठा है वो ही समझदार है ..ये बात गांठ बांघ लिजिये
आप उससे ज्यादा नहीं जानते इसपर विशवास किजिये...
चौथा- जी सही कहे रहें है.अभी कर देता हूं..हा जी ठीक बात है...बहुत अच्छा..ये आप को हरदम कहना है .हर वक्त कहना है ..
पंचवा- ये याद रखिये ,आप नौकरी कर रहे हैं आप नौकर है ..घर की किस्त देनी है बच्चों को पढाना है बीवी को घुमाना है .. अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास..हमेशा रहे याद...
छठा-सब से अहम बॉस के काम करना जैसे शाम को शराब ला कर देना ,टिकट बुक कराना ..
मिनिस्टर से काम कराना गांव से आम और अनाज पहुचाना.. सर के आते ही उनके बच्चे का हाल और कपड़ो की तारीफ और कल किए गए उनके निर्णय की वहावाही करना मत भूलियेगा....
जब इन नियमों का आप पालन नहीं करेगे तो आप को त्याग पत्र देना ही
होगा... उसने क्यों दिया मेरे सूत्रों ने बता दिया है मै आप को अगली पोस्ट में बताऊंगा....
Comments
prashant
"zindgi ke panno ko jab bhi paltoge, afsaane honge!
un panno mein zindgi jeene ke bahane honge!"