कब तक टीआरपी से दूर भागे गे....
कब तक टीआरपी से दूर भागे गे....
26/11 के एक महीने बाद हर टीवी चैनलों ने मुबंई पर पाकिस्तानी आंतवादियों के हमले का एक महीना मनाया ... ... क्या मकसद था ..क्यो उन चीज़ों को दोबारा दिखाया जा रहा था ... क्या चैनलों के पास कोई नई जानकारी थी .. क्या टीवी चैनलों को जो दिशा निर्देश सरकार की तरफ से मिले थे उनका वो पालन कर रहे थे
ये आप सब के ज़हन में बात आ रही होगी।
26/12 को जैसे ही घर में टीवी चला तो बच्चे सहम गये ।मां देखो फिर से मुबंई में आंतकवादियों ने हमला कर दिया ... मां भी भाग कर टीवी के पास पहुचीं टक टकी लगाये टीवी देखने लगी ...हे भगवान अब क्या होगा, क्यों इन आंतकवादियों को कोई पकड़ नहीं पा रहा ..।
वो समझ नहीं पा रही की हो क्या रहा है ..कभी दिन की तस्वीरें ,कभी रात की, उसे लगा की रात को हमला हुआ... .कभी उसे लगा दिन को हमला हुआ..फिर सोचा की दोबारा उन्ही जगह पर क्यों हमला हुआ.... फिर उसने सोचा ये तो वो ही और वैसी ही जगहाएं हैं , वो ही तस्वीरे हैं, जिन्हे वो पूरे एक महीने से देखती आ रही है । फिर उसे किसी ने बताया कि अरे टीवी वाले मुबंई पर हुये हमले का एक महीना बना रहे हैं..उसने 13वां.40वां तो सुना था महीना पहली बार सुन रही थी ..
अभी तक वो बच्चों को ये नहीं समझा पायी की आंतकवादी क्या होते हैं अब वो बच्चों को ये क्या बताये कि टीवी वाले हर चीज़ को गणित के पहाड़े की तरह याद क्यों करवाते हैं..
सब चैनलों से साफ साफ कहा गया था गोली बारी, खून, आंतकी हमला, आप एकदम सीधे नहीं दिखा सकते अगर आप पुरानी तस्वीरें दिखा रहे हैं तो उस पर फाइल लिखना ज़रूरी है ..पर ऐसा कुछ नहीं हुआ .
अभी महीना भी नही गुज़रा ..जब हर टीवी चैनलों ने फिल्म निर्देशक रामगोपाल वर्मा की बड़ी आलोचना की थी और अब खुद उनसे खौफनाक ड्रामा,फिल्म न्यूज़ चैनल में दिखाया गया इसलिये न्यूज़ कहना ज़रूरी है ..यानी न्यूज़ दिखाई गयी..
अब बात उनकी शैली की भी हो जाये... टीआरपी की दौड़ में पूरा मसाला दर्शकों तक पहुचाने की कोशिश की गई..कलाकार बुलायेगये,ड्रामैटिक लाइटिंग की गयी..एंकर और रिपोट्रर ने India most wanted के एंकर की तरह चिलाना शुरू कर दिया ।नेताओं को गाली देने के लिये फिल्म अभिनेताओं का सहारा भी लिया गया। औरों की तो छोड़ो अपने को संजीदा चैनल कहलाने वाले लोग भी इस दौड़ में शरीक होगये .. हां भई कब तक टीआरपी से दूर भागे गे....
26/11 के एक महीने बाद हर टीवी चैनलों ने मुबंई पर पाकिस्तानी आंतवादियों के हमले का एक महीना मनाया ... ... क्या मकसद था ..क्यो उन चीज़ों को दोबारा दिखाया जा रहा था ... क्या चैनलों के पास कोई नई जानकारी थी .. क्या टीवी चैनलों को जो दिशा निर्देश सरकार की तरफ से मिले थे उनका वो पालन कर रहे थे
ये आप सब के ज़हन में बात आ रही होगी।
26/12 को जैसे ही घर में टीवी चला तो बच्चे सहम गये ।मां देखो फिर से मुबंई में आंतकवादियों ने हमला कर दिया ... मां भी भाग कर टीवी के पास पहुचीं टक टकी लगाये टीवी देखने लगी ...हे भगवान अब क्या होगा, क्यों इन आंतकवादियों को कोई पकड़ नहीं पा रहा ..।
वो समझ नहीं पा रही की हो क्या रहा है ..कभी दिन की तस्वीरें ,कभी रात की, उसे लगा की रात को हमला हुआ... .कभी उसे लगा दिन को हमला हुआ..फिर सोचा की दोबारा उन्ही जगह पर क्यों हमला हुआ.... फिर उसने सोचा ये तो वो ही और वैसी ही जगहाएं हैं , वो ही तस्वीरे हैं, जिन्हे वो पूरे एक महीने से देखती आ रही है । फिर उसे किसी ने बताया कि अरे टीवी वाले मुबंई पर हुये हमले का एक महीना बना रहे हैं..उसने 13वां.40वां तो सुना था महीना पहली बार सुन रही थी ..
अभी तक वो बच्चों को ये नहीं समझा पायी की आंतकवादी क्या होते हैं अब वो बच्चों को ये क्या बताये कि टीवी वाले हर चीज़ को गणित के पहाड़े की तरह याद क्यों करवाते हैं..
सब चैनलों से साफ साफ कहा गया था गोली बारी, खून, आंतकी हमला, आप एकदम सीधे नहीं दिखा सकते अगर आप पुरानी तस्वीरें दिखा रहे हैं तो उस पर फाइल लिखना ज़रूरी है ..पर ऐसा कुछ नहीं हुआ .
अभी महीना भी नही गुज़रा ..जब हर टीवी चैनलों ने फिल्म निर्देशक रामगोपाल वर्मा की बड़ी आलोचना की थी और अब खुद उनसे खौफनाक ड्रामा,फिल्म न्यूज़ चैनल में दिखाया गया इसलिये न्यूज़ कहना ज़रूरी है ..यानी न्यूज़ दिखाई गयी..
अब बात उनकी शैली की भी हो जाये... टीआरपी की दौड़ में पूरा मसाला दर्शकों तक पहुचाने की कोशिश की गई..कलाकार बुलायेगये,ड्रामैटिक लाइटिंग की गयी..एंकर और रिपोट्रर ने India most wanted के एंकर की तरह चिलाना शुरू कर दिया ।नेताओं को गाली देने के लिये फिल्म अभिनेताओं का सहारा भी लिया गया। औरों की तो छोड़ो अपने को संजीदा चैनल कहलाने वाले लोग भी इस दौड़ में शरीक होगये .. हां भई कब तक टीआरपी से दूर भागे गे....
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