71 साल (भाग-5) सब कुछ जल्दी जल्दी हुआ ... रामनरेश ने अपनी इज्ज़त बचाने के लिए अपनी बड़ी बेटी की शादी की तैयारी शुरू कर दी ..पर ज़िन्दगी इतनी आसान होती तो ... भगवान और अल्लहा की दुकानों पर इतनी रौनक कभी नहीं होती ,,,,,। आज रिश्तेवालों को आना हैं रामनरेश के बड़े भाई ने रिश्ता करवाया है ..रामनरेश की बीवी को जब रात मे रामनरेश ने ये बात बताई थी ..तभी से वो बहुत परेशान थी।.क्योकि जिस भाई से कभी न बनी जिसने ..रात ही रात को अपना माकान खाली करा लिया वो इतना कैसे मेहरबान की अपने भाई की बेटी के लिए कोई अच्छा रिश्ता लाए...। पर घर का माहौल ऐसा था की कोई कुछ नही बोल रहा था .. खामोश ज़बा..आंखे नम , दिल भारी .. पर हो रही थी मेहमानों के आने की तैयारी ...। पैसे जो़ड़ जोड़ कर अपने बच्चों का पेट काट काट कर रामनरेश की पत्नी ने घर की चीज़े जोडी और बनाई थी .. नई चादरें ,पर्दे.खाने के बर्तन ... और भी मेहमानो की खातीर दारी के लिए बाकी सामान....। नाशते और खाने का प्रबंध किया गया था ...बाथरूम और टायलेट को भी अच्छी तरह से साफ कर दिया गया, नया तौलिया, नया साबुन... शीशे से लेकर फर्श और खिड़की दरवाज़े सब चमक रहे थ...