71 साल (भाग-7)
71 साल (भाग-7)
रामनेऱश अपने भाई के पास जा कर बैठ गए... भाई लेटा रहा वो उनके सिरहाने बैठे रहे..दोनो में काफी देर तक कोई बात नहीं हुई... फिर कुछ देर बाद भाई की पत्नी नीता रामनरेश के लिए चाय ले आई... चाय रखते हुए बोली
भाभी-भई वो मना कर गए....
रामनरेश-मना कर गए..
भाभी-हां उन्हे पसंद नही आया न तुम्हारा घर न तुम्हारे बच्चे और न ही लड़की ... रामनरेश ने भाई से पुछा ..भाई क्या कहे रहीं है भाभी...भाई ने अब जा कर मुंह खोला ..ठीक कहे रही हैं...
रामनरेश – आपको मुझे बताना चाहिए था..
भाई – क्या करता तू ..और मैं..
रामनरेश – पर फिर भी..
भाई- ठीक है और देखेगे..
रामनरेश – पर क्या कहा
भाई-बता तो दिया तेरी भाभी ने...उन्हे पसंद न आई..लड़की..देख रामनरेश ये रिश्ते तो सब भगवान की मर्जी से होते हैं...
रामनरेश को चक्कर आने लगा..आंखे बंद होने लगी ज़िन्दगी फिर वही चली गई जहां से शुरू हुई थी...चाय वही रखी रही ...रामनरेश उठे..बोलते हुए....मैं घर में क्या कहूंगा...भाई और भाभी ..दोनो ने रामनरेश की तरफ देखा ... रामनरेश ने अपने घर की राह ली...
रामनरेश से साइकिल नही चल पा रही थी... क्या क्या ज़हन में विचार आ रहे थे ...क्या जवाब दूंगा..कैसे क्या बोलूंगा...रामनरेश और उनके भाई का घर मुशिक्ल से 3 कि.मी पर होगा। लेकि तीन कि.मी आज 300 कि.ली दूर लग रहे थे ..रामनरेश से चला ही नहीं...जा रहा था... बेटी के रिश्ते टूटने का दुख ..क्या होता है ...
ये कोई भी समझ जायेगा....जो रामनरेश को देखेगा ..
उधर घर में रामनरेश की बीवी बच्चों के साथ बैठी बाते कर रहीं थी।..चलो सही हुआ लड़का अच्छा है भगवान सब ठीक कर देगे.।.इसके बात दूसरी बेटियों का ब्याह भी कर देगें और फिर बहू लायेगें..
.लगता है बात पक्की हो गई...तुम्हारे पिता जी मिठाई लेने चलेंगे होगे..या फिर लड़के वालों के घर ...अरे पैसों का भी तो इंतज़ाम करना है सारी तैयारी भी तो करनी है.।
.नहीं ,नहीं वो सब को बताने लगे होगे..कि हमारी लड़की का रिश्ता तय हो गया बस अगले महीने शादी है...
ये शायद रामनरेश की बीवी की घबराहट थी जो आने वाले डर को शब्दों की तसल्ली दे रही थी ।..उसे लग गया था कि कुछ बात बिगड गई है ..नहीं तो ऐसा कैसे होता की रामनरेश इतनी देर लगाते ...
बाते करते करते सब लोग घर से बाहर निकल आए और गली में रामनरेश का इंतज़ार करने लगे...हाय रे ये समाज लडकी का ब्याह कितनी बड़ी बात ..और रिश्ते का टूट जाना कितना बड़ा अपराध.. ये कोई सदियों पुरानी, किसी कस्बे और ज़िले की बात नहीं है। न ही कोई गांव का हाल ।.ये 21 सदी का भारत और उसकी राजधानी में रहने वालों की सोच है,,,
खैर, रामनरेश गली में पहुच गए.सब की नज़रे रामनरेश पर थी उनका उतरा हुआ चेहरा बता रहा था ..की माजरा क्या है..पर रामनरेश ने परिवार वालों को देख कर मुस्कुराना चाहा..घरवालों को थोडी शांति मिली .रामनरेश पास पहुचे.. लडके ने हाथ से साइकिल ले ली....
.सब रामनरेश की शक्ल देख रहे ..बड़ी बेटी अंदर कमरे में चली गई... रामनरेश दूसरे कमरे ...सब घर वाले बड़ी बेटी को छोड कर रामनरेश के पास पहुचे ..रामनरेश चुप थे ..सब चुप थे... पत्नी ने पुछा क्या हुआ...
क्या हुआ .... क्या था रामनरेश का जवाब और क्या होगी रामनरेश की आगे की ज़िन्दगी का हाल..अब कहानी रहेगी बड़ी बेटी के ईर्द गिर्द... पढते रहिए..और भेजिए अपने विचार...
रामनेऱश अपने भाई के पास जा कर बैठ गए... भाई लेटा रहा वो उनके सिरहाने बैठे रहे..दोनो में काफी देर तक कोई बात नहीं हुई... फिर कुछ देर बाद भाई की पत्नी नीता रामनरेश के लिए चाय ले आई... चाय रखते हुए बोली
भाभी-भई वो मना कर गए....
रामनरेश-मना कर गए..
भाभी-हां उन्हे पसंद नही आया न तुम्हारा घर न तुम्हारे बच्चे और न ही लड़की ... रामनरेश ने भाई से पुछा ..भाई क्या कहे रहीं है भाभी...भाई ने अब जा कर मुंह खोला ..ठीक कहे रही हैं...
रामनरेश – आपको मुझे बताना चाहिए था..
भाई – क्या करता तू ..और मैं..
रामनरेश – पर फिर भी..
भाई- ठीक है और देखेगे..
रामनरेश – पर क्या कहा
भाई-बता तो दिया तेरी भाभी ने...उन्हे पसंद न आई..लड़की..देख रामनरेश ये रिश्ते तो सब भगवान की मर्जी से होते हैं...
रामनरेश को चक्कर आने लगा..आंखे बंद होने लगी ज़िन्दगी फिर वही चली गई जहां से शुरू हुई थी...चाय वही रखी रही ...रामनरेश उठे..बोलते हुए....मैं घर में क्या कहूंगा...भाई और भाभी ..दोनो ने रामनरेश की तरफ देखा ... रामनरेश ने अपने घर की राह ली...
रामनरेश से साइकिल नही चल पा रही थी... क्या क्या ज़हन में विचार आ रहे थे ...क्या जवाब दूंगा..कैसे क्या बोलूंगा...रामनरेश और उनके भाई का घर मुशिक्ल से 3 कि.मी पर होगा। लेकि तीन कि.मी आज 300 कि.ली दूर लग रहे थे ..रामनरेश से चला ही नहीं...जा रहा था... बेटी के रिश्ते टूटने का दुख ..क्या होता है ...
ये कोई भी समझ जायेगा....जो रामनरेश को देखेगा ..
उधर घर में रामनरेश की बीवी बच्चों के साथ बैठी बाते कर रहीं थी।..चलो सही हुआ लड़का अच्छा है भगवान सब ठीक कर देगे.।.इसके बात दूसरी बेटियों का ब्याह भी कर देगें और फिर बहू लायेगें..
.लगता है बात पक्की हो गई...तुम्हारे पिता जी मिठाई लेने चलेंगे होगे..या फिर लड़के वालों के घर ...अरे पैसों का भी तो इंतज़ाम करना है सारी तैयारी भी तो करनी है.।
.नहीं ,नहीं वो सब को बताने लगे होगे..कि हमारी लड़की का रिश्ता तय हो गया बस अगले महीने शादी है...
ये शायद रामनरेश की बीवी की घबराहट थी जो आने वाले डर को शब्दों की तसल्ली दे रही थी ।..उसे लग गया था कि कुछ बात बिगड गई है ..नहीं तो ऐसा कैसे होता की रामनरेश इतनी देर लगाते ...
बाते करते करते सब लोग घर से बाहर निकल आए और गली में रामनरेश का इंतज़ार करने लगे...हाय रे ये समाज लडकी का ब्याह कितनी बड़ी बात ..और रिश्ते का टूट जाना कितना बड़ा अपराध.. ये कोई सदियों पुरानी, किसी कस्बे और ज़िले की बात नहीं है। न ही कोई गांव का हाल ।.ये 21 सदी का भारत और उसकी राजधानी में रहने वालों की सोच है,,,
खैर, रामनरेश गली में पहुच गए.सब की नज़रे रामनरेश पर थी उनका उतरा हुआ चेहरा बता रहा था ..की माजरा क्या है..पर रामनरेश ने परिवार वालों को देख कर मुस्कुराना चाहा..घरवालों को थोडी शांति मिली .रामनरेश पास पहुचे.. लडके ने हाथ से साइकिल ले ली....
.सब रामनरेश की शक्ल देख रहे ..बड़ी बेटी अंदर कमरे में चली गई... रामनरेश दूसरे कमरे ...सब घर वाले बड़ी बेटी को छोड कर रामनरेश के पास पहुचे ..रामनरेश चुप थे ..सब चुप थे... पत्नी ने पुछा क्या हुआ...
क्या हुआ .... क्या था रामनरेश का जवाब और क्या होगी रामनरेश की आगे की ज़िन्दगी का हाल..अब कहानी रहेगी बड़ी बेटी के ईर्द गिर्द... पढते रहिए..और भेजिए अपने विचार...
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