दंगों के लिए तैयार रहिए....मुस्लमानों को आरक्षण मिलने वाला है....(RANGNATH COMMISSION)

दंगों के लिए तैयार रहिए....मुस्लमानों को आरक्षण मिलने वाला है....(रंगनाथ मिश्रा आयोग)

2006 में रंगनाथ मिश्रा ने अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंप दी थी.... जिसमें अल्पंसंख्यक समुदायो की भागेदारी पढ़ाई लिखाई और रोज़गार में बढाने के लिए सिफारिश की गई है....
अब क्या क्या सिफारिशे है इसको भी पढ़ ले....
ओवीसी कोटे में अल्पसंख्यक पिछड़े भी शामिल किए जाए...
मौजूदा 27 फीसदी कोटे में 6 फीसदी मुस्लिम पिछड़े हो...
2.4 फीसदी कोटा दूसरे अल्पसंखयक पिछड़ो को दिया जाए....
रंगनाथ मिश्रा कहते हैं ...
हर धर्म और नस्ल के पिछड़े लोगों को आरक्षण मिलना चाहिए
जिन पैमानो पर हिन्दुओ पिछड़ों को आरक्षण मिलता है उसी तरह मुस्लमानों और इसाईयो के पिछड़ो को आरक्षण मिलना चाहिए..
गैरमुस्लिम और इसाई शैक्षणिक संस्थानों मे अल्पसंख्यक पिछड़ो का 15 फीसदी कोटा (आरक्षण ) होना चाहिए...जिसमे 10 फीसदी मुस्लिम और 5 फीसदी दूसरे अल्पसंख्यक हों...
सरकार इसे संसद में रखने की हिम्मत नही जुटा पा रही है क्योंकि जो हाल वीपी सिंह का हुआ वो इस सरकार का न हो जाए... और फिर से मंडल कमंडल की राजनीति का दौर शुरू हो जाएगा..क्योंकि मंडल आयोग ने जो 27 फीसदी पिछड़ो को दिए है उसी में से 8.4 फीसदी अल्पसंख्यक पिछड़ो को जाएगें...यानि गरीब की रोटी गरीब ही छीन कर खायेगा...जो साफ तौर पर तुष्टीकरण ही है...
सरकार के गले की हड्डी बन गई है ये रिपोर्ट ..क्योंकि इसको पेश और लागू करने के लिए संविधान में भी कई बदलाव करने होगें
रिपोर्ट कहती है
मु्स्लिम और दलितों को आरक्षण का लाभ हो पर हमारा संविधान केवल हिन्दु ,सिख और बौद्ध धर्म में ही दलित हैं कहता है..तो क्या सरकार संविधान में संशोधन करे गई।
15 फीसदी शैक्षणिक संस्थानों मे आरक्षण आएगा कहां से ..क्योंकि साधरण अनुसूचित जाति और जनजाति के कोटे से उल्पसंख्यको को ये फायदा नहीं दिया जा सकता
अगर ओबीसी के 27 फीसदी से ये फायदा दिया जाएगा तो देश में दंगा हो कर ही रहेगा।
और अगर अलग से आरक्षण दिया जाएगा तो आरक्षण का कुल कोटा 50 फीसदी से पार चला जाएगा..तो क्या दूसरे लोग खामोश बैठे गे..और इसकी इजाज़त भी हमारा संविधान नहीं देता ...
अब सरकार टालमटोल करेगी तो जिनके वोटों से जीती है यानि अल्पसंख्यक विरोधी कहे लाएगी...जो उसे बर्दाश नही होगा...
मनमोहन सिंह के वादे के मुताबिक इस सत्र में ही ये रिपोर्ट पेश होगी और संसद तय करेगी कि इस पर आगे क्या कार्यवाई हो...
तय है आने वाले दिन ज्यादा गर्म और खतरनाक हो सकते हैं हम सब के लिए ।।

Comments

आगे आगे देखिये होता है क्या
sonal said…
एक उल्लू ही काफी है बर्बाद गुलिस्तान करने को
हर शाख पे उल्लू बैठे है अंजाम-ए-गुलिस्तान क्या होगा
जब इतनी शिददत से किसी चीज की प्रतीक्षा की जाए, तो उसे तो फिर होके ही रहना है।

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महफ़ज़ भाई आखिर क्यों न हों एक्सों...
क्या अंतरिक्ष में झण्डे गाड़ेगा इसरो का यह मिशन?
अब की सदी में कोई जात से पिछड़ा नहीं है,भूखे को रोटी का आरक्षण होना चाहिए !तत्कालीन आरक्षण वाला भाग संविधान पर कलंक है और ये अंग्रेजो के डिवाइड एंड रूल का आजादी उपरांत का संस्करण है !
सोनल जी से सहमत हूँ चारो तरफ बस उल्लू ही उल्लू !
Zamir Ahmed said…
aap kuch bhi kah lijiye... karni aur kahni me antar hota hai.... ye bharat desh hai.. yaha nyay milte milte log marjate hai...unke marke ke baad adalat ka faisla aata hai...
यानि लब्बो लुब्बाब ये कि ......दंगा होना तो तय है ऐसे या वैसे ...चलो तैयारी की जाए...पहले ये सोच लेते हैं ...कि जांच आयोग कौन सा बिठाया जाए.....आखिर दंगो का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यही तो है ..
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"अब क्या क्या सिफारिशे है इसको भी पढ़ ले....
ओवीसी कोटे में अल्पसंख्यक पिछड़े भी शामिल किए जाए...
मौजूदा 27 फीसदी कोटे में 6 फीसदी मुस्लिम पिछड़े हो...
2.4 फीसदी कोटा दूसरे अल्पसंखयक पिछड़ो को दिया जाए....
रंगनाथ मिश्रा कहते हैं ...
हर धर्म और नस्ल के पिछड़े लोगों को आरक्षण मिलना चाहिए
जिन पैमानो पर हिन्दुओ पिछड़ों को आरक्षण मिलता है उसी तरह मुस्लमानों और इसाईयो के पिछड़ो को आरक्षण मिलना चाहिए..
गैरमुस्लिम और इसाई शैक्षणिक संस्थानों मे अल्पसंख्यक पिछड़ो का 15 फीसदी कोटा (आरक्षण ) होना चाहिए...जिसमे 10 फीसदी मुस्लिम और 5 फीसदी दूसरे अल्पसंख्यक हों..."

गलत तो नहीं कह रहे जस्टिस रंगनाथ मिश्र, जब आरक्षण की पूरी व्यवस्था को हमारे यहां संविधान सम्मत माना गया है... और मुस्लिम समुदाय पिछड़ा हुआ है वाकई में...

तो इस नारे में क्या गलत है:-

जिसकी जितनी संख्या भारी...
OBC को दिये २७% में....
उसकी हो उतनी हिस्सेदारी...

दंगों की चिन्ता न करे सरकार... आखिर सामाजिक न्याय पर हक तो सभी का है... सभी धर्मों या पंथों का...
क्या दंगों के डर से हक छीने जा सकते हैं?

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