कौन समझेगा इन का दर्द-सीआरपीएफ के शहीद जवानो के परिवार..दंतवाड़ा मे शहीद 76 जवानो के परिवार को सलाम
दंतवाड़ा मे शहीद 76 जवानो के परिवार को सलाम
चीन के हत्यारों से लेस नक्सलियों ने 2 दिन के थके हुए भारतीय सीआरपीएफ के जवानो को मार डाला ..जवानो की मौत गोलियों से कम हुई प्रेशरबंम और आईडी के इस्तेमाल से ज्यादा हुई...जंगल के चप्पे चप्पे से वाकिफ नक्सलियों ने 76 जवानो को घेर लिया 1000 की तादाद में आए नक्सली पेड़ों और पहाड़ो की होड़ से हमला कर रहे थे ।जवानो के पास पोज़िशन लेने का भी वक्त नही था .वो भाग कर किसी जगह पर पहुने की कोशिश करते की ज़मीन पर छुपे प्रेशर बम का शिकार बनते ।प्रेशर बम दो तरह के होते हैं एक वो जिस पर आप पैर ऱखेगें तो वो फटेगा दूसरा वो कि जिससे आप पैर हटाएगे तब वो फटेगा..सीआरपीएफ की बस तो आईडी से उड़ाई गी..चारों तरफ से घीरे होने के बावजूद हमारे जवान साढ़े चार घंटे लड़े हमला सुबह पौने चार बजे हुआ..जो ज़ख्मी है उनके जज्बे को सलाम करते हैं क्योंकि वो फिर वहा पर जाकर लड़ने के लिए तैयार है ..और नक्सली का खातमा करेने पर ऊतारू..पर जो नही रहे उनके पीछे दर्द के रिश्ते बच गए। घायल जवान अली हसन ने ज़ख्मी होने के बाद अपने परिवार से बात की पर अल्लाह ने शाय़द बात करने तक की ही उसे महौलत दी ,,उसके बाद उसकी मौत हो गई।
पर रामपुर के माजरा गांव का कांस्टेबल श्यामलाल का परिवार इतना भी किस्समतवाला नही कि श्यामलाल से बात कर सकता उन्हे तो श्यामलाल का शव ही मिला तीन बेटियां और एक बेटा अपने बाप के शव को फक्र और नम आंखों से देखते रहे .
.ऐसी 76 कहानी जिसमें 42 उत्तर प्रदेश की ही हैं ..न जाने किन किन की कौन कौन सी खुशियों को उड़ा चुके हैं नक्सलियों के बम और गोलियां..
क्या कोई देगा इन गरीब परिवार को हमदर्दी क्या कोई बैठेगा इनके लिए भी किसी धरने पर .. शायद नही क्योकि ये जवान है इनका जन्म ही मरने के लिए हुआ देश की गोली हो या विदेश की सीना तो इनका ही होता है ।
चीन के हत्यारों से लेस नक्सलियों ने 2 दिन के थके हुए भारतीय सीआरपीएफ के जवानो को मार डाला ..जवानो की मौत गोलियों से कम हुई प्रेशरबंम और आईडी के इस्तेमाल से ज्यादा हुई...जंगल के चप्पे चप्पे से वाकिफ नक्सलियों ने 76 जवानो को घेर लिया 1000 की तादाद में आए नक्सली पेड़ों और पहाड़ो की होड़ से हमला कर रहे थे ।जवानो के पास पोज़िशन लेने का भी वक्त नही था .वो भाग कर किसी जगह पर पहुने की कोशिश करते की ज़मीन पर छुपे प्रेशर बम का शिकार बनते ।प्रेशर बम दो तरह के होते हैं एक वो जिस पर आप पैर ऱखेगें तो वो फटेगा दूसरा वो कि जिससे आप पैर हटाएगे तब वो फटेगा..सीआरपीएफ की बस तो आईडी से उड़ाई गी..चारों तरफ से घीरे होने के बावजूद हमारे जवान साढ़े चार घंटे लड़े हमला सुबह पौने चार बजे हुआ..जो ज़ख्मी है उनके जज्बे को सलाम करते हैं क्योंकि वो फिर वहा पर जाकर लड़ने के लिए तैयार है ..और नक्सली का खातमा करेने पर ऊतारू..पर जो नही रहे उनके पीछे दर्द के रिश्ते बच गए। घायल जवान अली हसन ने ज़ख्मी होने के बाद अपने परिवार से बात की पर अल्लाह ने शाय़द बात करने तक की ही उसे महौलत दी ,,उसके बाद उसकी मौत हो गई।
पर रामपुर के माजरा गांव का कांस्टेबल श्यामलाल का परिवार इतना भी किस्समतवाला नही कि श्यामलाल से बात कर सकता उन्हे तो श्यामलाल का शव ही मिला तीन बेटियां और एक बेटा अपने बाप के शव को फक्र और नम आंखों से देखते रहे .
.ऐसी 76 कहानी जिसमें 42 उत्तर प्रदेश की ही हैं ..न जाने किन किन की कौन कौन सी खुशियों को उड़ा चुके हैं नक्सलियों के बम और गोलियां..
क्या कोई देगा इन गरीब परिवार को हमदर्दी क्या कोई बैठेगा इनके लिए भी किसी धरने पर .. शायद नही क्योकि ये जवान है इनका जन्म ही मरने के लिए हुआ देश की गोली हो या विदेश की सीना तो इनका ही होता है ।
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शहीदों को नमन एवं श्रृद्धांजलि!