शान का प्रेम पत्र -3

शान का प्रेम पत्र -3
प्रिय काफी दिनों के बाद तुम को पत्र लिख रहा हूं । इस उम्मीद के साथ जहां हमारी बात और मुलाकात खत्म हुई थी..। वहा पर तुम आज भी रोज़ जाती होगी ..याद आता होगा तुम्हे हर गुज़रा हुआ वक्त ..मेरा भी वो ही हाल है ... उन जगहों और उन लम्हों को मैने समेट कर रखा हुआ है ..जब भी अकेला होता कुछ परेशान होता तो वो गुज़रे हुए पल को अपनी यादों से निकाल कर थोड़ा मुस्कुरा लेता ...अच्छा लगता, शायद ज़िन्दगी में वो जो पल बीत चुकें हैं..उन से अच्छा वक्त न जाने मैं कब देंखू...
कल कुछ अजीब हुआ..दिन रात मेरी आंखों से आसू बहते गए..ज़ोर ज़ोर और ज़ार ज़ार रोने का दिल करने लगा..चाहा रहा था बहुत से ज़ोर से रोऊं, चिल्लाऊं ,चीखूं..पर आवाज़ न जाने कहां दब गई औऱ दबी हुई आवाज़ दबी हुई भावनाओं ने अश्कों का दरिया बना दिया...
ज़हन कुछ काम नही कर रहा था ..बस मैं रोता जा रहा था ..क्यों.. मालुम नही
शायद मैने जीवन में सिर्फ सिर्फ खोया है ..औऱ लगातार खोता ही जा रहा हूं... बहुत कुछ पाने की चाहत है .पर जब दर्पण देखता हूं..तो अपने को अकेला पाता हूं..
सब अपनी अपनी ज़िन्दगी और दिनचर्या मे व्यस्त हो जाते हैं... सब के पास बहुत काम है ..अपने लिये अपनो के लिए। मैं अकेला, जो था उसे खो चुका और जो है वो छूट रहा है...
आज दिल किया तुम से बात करने का शब्दों से अपने दिल का हाल बताने का ...इस आशा के साथ तुम पढ़ कर कभी जवाब नहीं दूगी.. पर वादा करो दुखी भी नही होगी..तुम्हे दुख न हो इसलिये तो मैं तुम से दूर चल गया...

तुम्हारा
शान......

Comments

Udan Tashtari said…
भावपूर्ण!!

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