मस्जिद और दरगाहों के आसपास ही क्यों होते है फरेबी लोग...

मस्जिद और दरगाहों के आसपास ही क्यों होते है फरेबी लोग...

माजिद मियां पांच वक्त के नमाज़ी हैं..और जुम्मे की नमाज़ तो उन्होने शायद ही कभी न पढी हो ..ऐसा मुम्किन नहीं....सिगेरिट पीने का शौक है और वो क्लासिक सिगेरिट पीते हैं जिसकी कीमत पांच रूपए है...
एक बार उनका एक हिन्दु दोस्त अजमेर शरीफ से लौटा तो दरगाह में और आसपास के ठगों के बारे में बताने लगा ..कि कैसे ठगों ने अजमेर स्टेशन से ही उनका पीछा ले लिया ..बड़ी मुशिक्ल से बच कर वो दरगाह के अंदर पहुचा तो देखा की अंदर तो बहुत बडे बडे ठग और लूटरे मौजूद थे ..हर शख्स उन्हे चिश्ती साहब के आज़ाब का डर दिखा कर नोट ऐठने को तैयार था..
एक दरवाज़े जिसे जन्नत का दरवाज़ा कहा जाता है ..उस पर तो बहुत ही बड़ा शातिर लूटेरा हाथों में लठ और ज़मीन पर चादर बिछाए खड़ा था ..चादर पर रूपए पड़े हुए थे .. और लोगों को वो उस चादर पर ही रूपए डालने को कहे रहा था ..
सरकारं ने वहा हिदायत लिख रखी है की आने वाले लोग सरकारी पेटी में ही चढावा डालें.. किसी और को न दे.. दान पेटी में डाला गया पैसा दरगाह की देख रेख में लगाया जाएगा...
तो उसने 100 रूपए निकाले और दान पेटी में डालने लगा...तभी दरवाज़े पर खड़ा आदमी मना करने लगा लेकिन वो तब तक रूपया डाल चुका था पर उसने सोचा की ये इतना कहे रहा तो उसने उस आदमी की चादर पर भी दस रूपए डाल दिए..
बस क्या था ..उसने उसके दस रूपए फेकं दिए और कौसने देने लगा ..और जा कर सरकारी पेटी में आग लगा दी ..
सब ठग जमा हो गए..आदमी उन्हे और तेज़ चिल्ला चिल्ला कर कौसने देने लगा... बुरा भला अपशब्द बोलने लगा..इनके साथ बच्चा था जो डर के मारे रोने लगा बीवी ने जल्दी से निकलने को कहा ..सारे ठग चिश्ती साहब की कब्र छोड कर उनके पीछे लग गए... ऐसा लगा की दंगों में वो फंस गए हो...
माजिद मियां के दोस्त ने उन्हे ये बताया तो वो नहीं माने कहा मियां तुम ऐसे ही बदनाम करते हो ..ऐसी जगह के आसपास तो दुकान दार भी बेइमानी नहीं करते अल्लाह के खौफ से.. उन्हे उसका डर लगता है...
बात आनी जानी हुई ...और माजिद मियां अपनी दुनिया में और अल्लाह की इबादत में गुम हो गए..
जिस मस्जिद में वो जुम्मे की नामाज़ पढ़ने जाते थे ..उसके नीचे ही सिगेरिट की दुकान थी .लेकिन माजिद मियां वहां से सिगरिट नहीं पीते... एक शुक्रवार के दिन नमाज़ पढ़ने के बाद,उनका सिगेरिट पीने का दिल हुआ तो मस्जिद के नीचे की दुकान पर गए और क्लासिक मांगी ..सिगेरिट का एक कश लेने के बाद उन्होने दुकानदार को पांच रूपये दिए ..तो दुकान दार बोला ...एक रूपया और छह की हो गई है..माजिद मियां ने एक रूपया तो दे दिया पर आपा खो बैठे .. तू तू मैं मैं शुरू हो गई... दुकानदार भी कुछ कम नही था ,,पहुचा हुआ था ...बहुत तेज़ तेज़ बोलने लगा ... माजिद मियां जानते थे वो झूठ बोल रहा .पर क्या करते ... कहां तुम्हे पैसे चाहिए थे ऐसे ही मांग लेते ..पर वो हाथापाई में उतारू हो गया..क्लासिक का नया रेट के बारें में बताने लगे .. भीड जमा हो गई ... माजिद मियां ने कहा अल्लाह तुम्हे बरकत दे औऱ य़े.कहे कर घर के लिए चल दिये ..पर उन्हे याद आया.अपने दोस्त .की बात जिसने कहा था....मस्जिद और दरगाहों के आसपास ही बसते हैं सब से ज्यादा फरेबी लोग.....

Comments

RAJNISH PARIHAR said…
लगभग सभी धार्मिक जगहों पर यही हाल है...लूट मची है...धर्म के नाम पर..
आप की बात सही है.....ऐसे अनुभव हमे भी हुए हैं।

Popular posts from this blog

woh subhah kab ayaegi (THEATRE ARTISTE OF INDIA)

33 प्रतिक्षत में आम मुस्लमान औरतों के हिस्से क्या... कुछ नहीं..