खुशियों का रंग भर डाले

खुशियों का रंग भर डाले

विद्या की देवी सरस्वती को प्रणाम करता हूं
बंसत के इस मौसम में आप का अभिनंदन करता हूं
सर्दी ने रूखस्त ली
रज़ाई कोटी सब मां ने बन्द की
खेतों में फसल लहलहा उठी
पीले रंग की चादर लो ओढ़ ली
नई कलियां, नए फूल
हर तरफ नए कंवल खिलते हैं
बंसत ऋतु का स्वागत हम सब करते हैं
रंगों के इस मौसम में
सब पर प्यार रंग का चढ़ता है
देखो राम रहीम यहां गले मिलते हैं
मेरे देश में बंसत का क्या कहना
कहीं झूले
कहीं नगाडे
कहीं ढ़ोल तमाशे दिखते हैं
राधे राधे
शिव शंभू सब एक ही रंग में फिरते हैं।
आओ इस बंसत ऋतु को
हर एक के जीवन में ले जायें
सब की झोली में खुशियों का रंग भर डाले।।
सब की झोली में खुशियों का रंग भर डाले।।

Comments

TIME said…
thnx for this wondreful poem..........
Ashutosh said…
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ

हिन्दीकुंज
Udan Tashtari said…
बढ़िया!



ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.


आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

-समीर लाल ’समीर’

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