महिला आरक्षण बिल से लेखक समूह परेशान

महिला आरक्षण बिल से लेखक समूह परेशान

महिला आरक्षण बिल क्या आया और क्या राज्यसभा में पास हुआ कि हिन्दुस्तान में सब की पेशानी पर पसीना आने लगा ..जगह जगह और अलग अलग वर्ग से प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई.. धोती वाले बोले दाढ़ी वाले बोले जवान बोले और अपने को जवान कहलवाने वाले बोले ,,सब ने राग अलापा किसी ने पक्ष में तो किसी विपक्ष में .. कुछ हितों की बात करने लगे और कुछ अहितों .किसको क्या मिलेगा और किससे क्या छिनेगा इस पर देश में बहस गर्म है ...

अब बात करते हैं कि भला लेखकों राईटरों को इससे क्यों हो रही है परेशानी ॥कल शाम कॉफी हाऊस में बैठा था तभी मेरा एक दोस्त आया जो टीवी और फिल्मों में कहानी और संवाद लिखता है ..ब़ड़ा परेशान दिखा मैंने कहा क्या हुआ भाई क्यों इतना दुखी हो वो बोला
यार ये महिला बिल पास नहीं होना चाहिए ...
मैनें कहा क्यों भला तुम क्या परेशानी तुम्हे क्या चुनाव लड़ना है

वो बोला भाई चुनाव नहीं हमें तो लिखना है लिखने से रोटी चलती है हमारी ..
मैने पुछा लिखने का और बिल का क्या संबध॥

उसे गुस्सा आ गया कहने लगा यार टीवी और फिल्मे करैक्टर से आगे चलती है यानी पात्रों से और फिल्म में एक पात्र होता है नेताजी ..जो सफेद लिबास में होगा रंग काला होगा माथे पर टीका लगा कर जनता का खून चूसेगा और अपने क्षेत्र की औरतों और लड़की को अपने घर बुलाएगा .. उनके काम के एवज़ में उनका शारीरिक शोषण करेगा या फिर बलत्कार ही कर देगा फिर उस औरत का बेटा पति या भाई उस नेता कि हत्या करने की कसंम खाएगे देश को इस तरह के नेताओं से आज़ाद करायेगे..और कहानी आगे बढ़ कर खत्म हो जाएगी नेताजी को विदेशी लोगो कुछ नंगी लड़कियों के साथ बेड पर या डांस करते हुए दिखाने से दर्शक सीटी बजाते और फिल्म या सीरीयल चल देता ...पर अब क्या करें अभी तो नेता को सोचे तो बेईमान सफेद लिबास में हैवान देश के गद्दार चोर हरामखोर जैसे शब्दों को आसानी से लिखा जाता रहा है पर आरक्षण के बाद आने वाली जनरेशन को नेता के रूप में औरत ही दिखेगी उसको डायन के रूप में दिखाएगें तो औरत पर बहस करने वाले आगे आ जाएगें और फिर बहस शुरू हो जाएगी कि भई औऱतों का संसद होना भी औरत की दिशा और दशा नहीं बदल पाई ..टीवी और सीरीयल में आज भी औरतो का शोषण जारी है ..बंद करो लिखना मारो लेखक को जला दो उसका लिखा हुआ पोस्टर फाड़ो और सिनेमा हॉल जला दो अब क्या करे लेखक वो तो फंस गया, लग गई वॉट भाई

अभी नहीं समझ रहे लोग जब लिखना पड़ेगा तो कितना सती-सवित्री दिखा सकते हैं लोग औरतो को सतीसावित्री और वो नेता को अच्छे इंसान के रूप में देखना ही पंसद नही करते लोगो के लिए नेता का मतलब ही चोर और बईमान है ...बताओ क्या करें...

मैने कॉफी खत्म की इधर उधर देखा और कहा भई इस पर मैं क्या कहू मैं तो तुम्हारे विचार लोगों तक पहुचा सकता हूं और देखता हूं लोग क्या कहते हैं....

Comments

Popular posts from this blog

woh subhah kab ayaegi (THEATRE ARTISTE OF INDIA)

33 प्रतिक्षत में आम मुस्लमान औरतों के हिस्से क्या... कुछ नहीं..