भीष्म की मौत एक नपुंसक के हाथ
भीष्म की मौत एक नपुंसक के हाथ
कोई अंग नही बचा है जिसमें बाण न लगे हों। अंग अंग भिदा है ।प्रेयत्क रोम कूप में भिदे बाण रोम से खड़े हैं । उन्ही पर लेटे हैं भीष्म।
भीष्म जिनका देवव्रत भी नाम है ... और देवव्रत का अर्थ है देवाताओं जैसा व्रत ..दृढ़ निश्चय करने वाला व्यक्ति..सब जानते हैं कि भीष्म ने अपने पिता का दूसरा विवाह करने के लिए खुद विवाह न करने का व्रत लिया था । कई बार ऐसे हालात पैदा हुए जब भीष्म अपना ये व्रत तोड़ सकते थे ...पर उन्होने ऐसा नहीं किया । जो राजा हो सकता था ,उसने अर्थदास जैसा जीवन जिया...लेकिन अपने व्रत को भंग होने नही दिया।
हस्तिनापुर राज्य की सेवा का व्रत उनकी कमज़ोरी बन गया था.अपने युग के महान विद्वान ,धनधुर .धर्मात्मा समाजवेत्ता होकर भी कमज़ोर ही रहे । उन्होने कौरवों के सेनापति के रूप में दस दिनों तक महाभारत युद्द किया ।भीष्म मन से पाडवों और तन से कौरवों के साथ थे ।
भीष्म सर्वसमर्थ होकर भी युग की सत्ता बदलने में असमर्थ रहे । इस विशाल व्यक्तित्व वाले योद्दा की मौत एक नपुसंक के हाथों से हुई..शायद इसलिए कि उन्होने अन्याय का साथ दिया.. इसलिए उनकी मौत इतनी तकलीफ दय रही... वो भी शिखंडी के रूप में
आज की राजनिति भी ऐसी है ..पर याद रहे जो भी भीष्म बनने की कोशिश कर रहा है उसे उसके नतीजे के लिए तैयार रहना चाहिए..।।
कोई अंग नही बचा है जिसमें बाण न लगे हों। अंग अंग भिदा है ।प्रेयत्क रोम कूप में भिदे बाण रोम से खड़े हैं । उन्ही पर लेटे हैं भीष्म।
भीष्म जिनका देवव्रत भी नाम है ... और देवव्रत का अर्थ है देवाताओं जैसा व्रत ..दृढ़ निश्चय करने वाला व्यक्ति..सब जानते हैं कि भीष्म ने अपने पिता का दूसरा विवाह करने के लिए खुद विवाह न करने का व्रत लिया था । कई बार ऐसे हालात पैदा हुए जब भीष्म अपना ये व्रत तोड़ सकते थे ...पर उन्होने ऐसा नहीं किया । जो राजा हो सकता था ,उसने अर्थदास जैसा जीवन जिया...लेकिन अपने व्रत को भंग होने नही दिया।
हस्तिनापुर राज्य की सेवा का व्रत उनकी कमज़ोरी बन गया था.अपने युग के महान विद्वान ,धनधुर .धर्मात्मा समाजवेत्ता होकर भी कमज़ोर ही रहे । उन्होने कौरवों के सेनापति के रूप में दस दिनों तक महाभारत युद्द किया ।भीष्म मन से पाडवों और तन से कौरवों के साथ थे ।
भीष्म सर्वसमर्थ होकर भी युग की सत्ता बदलने में असमर्थ रहे । इस विशाल व्यक्तित्व वाले योद्दा की मौत एक नपुसंक के हाथों से हुई..शायद इसलिए कि उन्होने अन्याय का साथ दिया.. इसलिए उनकी मौत इतनी तकलीफ दय रही... वो भी शिखंडी के रूप में
आज की राजनिति भी ऐसी है ..पर याद रहे जो भी भीष्म बनने की कोशिश कर रहा है उसे उसके नतीजे के लिए तैयार रहना चाहिए..।।
Comments
it is said that society is not harmed much by incompetant people but it has been harmed mostly by So Called Good Non-Doers.
Approps,
Dr ajay
drjaykgupta.blogspot.com