शर्म आनी चाहिए जेएनयू के लोगो को
शर्म आनी चाहिए जेएनयू के लोगो को
मंगलवार की खौफनाक सुबह किसी भी भारतीय के लिए भूल पाना आसान न होगा । जब हमारे सीआरपीएफ के जवान छतीसगढ़ के दंतवाड़ा के जंगलों में गश्त लगा रहे थे तभी नक्सलियों का बर्बरता से भरा असली चेहरा सामने आया ।तकरीबन 75 जवानों को लगभग 1000 से ज्यादा नक्सलियों ने गौरिल्ला तरीके से घेर कर गोलियों से भून दिया... न जाने कितने परिवार का सुहाग बेटा भाई पिता को मार डाला.।इससे पहले भी मलकानगिरी में सीआरपीएफ की बस को निशाना बनाया गया उसमे तकरीबन 20 जवानो की मौत हुई.. ये एक दुखद घटना है जिसके सीने में दिल होगा।उसे दर्द ज़रूर होगा ।
लेकिन ऐसा नहीं है दिल्ली का एक तपका जो अपने को पढ़ा लिखा मानता है देश में होने वाले अत्याचारों के लिए धरना प्रदर्शन करता फिरता है ..गांजा चरस से चूर रहता मोटी मोटी लाल किताबे लाल फरेरे से बहुत प्यार करता है ..देश के शोषित पीड़ितों का मसीहा बनता है ..जब सत्ता मिलती है तो मलाईदर पदों पर बैठ जाता औरतो का बखौबी सेक्स के लिए इस्तेमाल करता ये कहते हुए कि ये तो शरीर की ज़रूरत है ।उस तो ये भी बर्दाशत नही जहा वो रहता है उससे नेहरू का नाम क्यों जुड़ा है ..
जी उसने मंगलवार को कनॉटपलैस के अंदर वाले पार्क में ग्रिनहंट के विरोध में प्रर्दशन किया जहा प्रर्दशन किया वहा प्रर्दशन करना मना है फिर भी इन पढे लिखे लोगो ने किया । और सुनिय़े जवानों की मौत और नक्सली हमले को सही बताया तर्क दिया कि अगर पी चिदेबरम उनकी 72 घंटों के सीज़फायर की बात मान जाते तो ये न होता ..सीज़फायर का मतलब की नक्सलियों को भागने और छुपने का मौका दे दिया जाता तो ठीक था सब की रोटी चलती रहती ।
न जाने यहां बैठ कर ये किस विकास और किस शौषण की बात करते हैं अगर सरकारी तंत्र में कमी है तो नक्सली कौन सा उन गरीब आदिवासियों के लिए मसीहा का काम करते वो उनसे टैक्स लेते है बदमाशो की तरह रात को आसरा और रात में बहू बेटियों के साथ शरीरिक संतुष्ठी ..ये कोई लेख लिखने के लिये नही मैं खुद नक्सलप्रभावी क्षेत्रों मे जा कर उनकी करतूत को देखा और सुना है ..सरकार को एक हुव्वा बना कर नक्सली अपना मकसद पूरा कर रहें है अपनी रोटी सेख रहे हैं ..उनके साथ जो अपने आपको ज्याद पढ़ा लिखा समझते है वो मज़े लूट रहे हैं विकास सरकार ही करेगी उससी से ही होगा न की बंद कमरों में सिगरेट के धुंए और गांजे के नशे से और बेबात की बात पर धरना प्रर्दशन और हर बात पर सरकार को गाली देने से । देश में सब का विकास हो सब को हक मिले सब चाहते पर जो सही बात हो उसके साथ रहना चाहिए..वो ही हमारी विचारधारा होनी चाहिए।
मंगलवार की खौफनाक सुबह किसी भी भारतीय के लिए भूल पाना आसान न होगा । जब हमारे सीआरपीएफ के जवान छतीसगढ़ के दंतवाड़ा के जंगलों में गश्त लगा रहे थे तभी नक्सलियों का बर्बरता से भरा असली चेहरा सामने आया ।तकरीबन 75 जवानों को लगभग 1000 से ज्यादा नक्सलियों ने गौरिल्ला तरीके से घेर कर गोलियों से भून दिया... न जाने कितने परिवार का सुहाग बेटा भाई पिता को मार डाला.।इससे पहले भी मलकानगिरी में सीआरपीएफ की बस को निशाना बनाया गया उसमे तकरीबन 20 जवानो की मौत हुई.. ये एक दुखद घटना है जिसके सीने में दिल होगा।उसे दर्द ज़रूर होगा ।
लेकिन ऐसा नहीं है दिल्ली का एक तपका जो अपने को पढ़ा लिखा मानता है देश में होने वाले अत्याचारों के लिए धरना प्रदर्शन करता फिरता है ..गांजा चरस से चूर रहता मोटी मोटी लाल किताबे लाल फरेरे से बहुत प्यार करता है ..देश के शोषित पीड़ितों का मसीहा बनता है ..जब सत्ता मिलती है तो मलाईदर पदों पर बैठ जाता औरतो का बखौबी सेक्स के लिए इस्तेमाल करता ये कहते हुए कि ये तो शरीर की ज़रूरत है ।उस तो ये भी बर्दाशत नही जहा वो रहता है उससे नेहरू का नाम क्यों जुड़ा है ..
जी उसने मंगलवार को कनॉटपलैस के अंदर वाले पार्क में ग्रिनहंट के विरोध में प्रर्दशन किया जहा प्रर्दशन किया वहा प्रर्दशन करना मना है फिर भी इन पढे लिखे लोगो ने किया । और सुनिय़े जवानों की मौत और नक्सली हमले को सही बताया तर्क दिया कि अगर पी चिदेबरम उनकी 72 घंटों के सीज़फायर की बात मान जाते तो ये न होता ..सीज़फायर का मतलब की नक्सलियों को भागने और छुपने का मौका दे दिया जाता तो ठीक था सब की रोटी चलती रहती ।
न जाने यहां बैठ कर ये किस विकास और किस शौषण की बात करते हैं अगर सरकारी तंत्र में कमी है तो नक्सली कौन सा उन गरीब आदिवासियों के लिए मसीहा का काम करते वो उनसे टैक्स लेते है बदमाशो की तरह रात को आसरा और रात में बहू बेटियों के साथ शरीरिक संतुष्ठी ..ये कोई लेख लिखने के लिये नही मैं खुद नक्सलप्रभावी क्षेत्रों मे जा कर उनकी करतूत को देखा और सुना है ..सरकार को एक हुव्वा बना कर नक्सली अपना मकसद पूरा कर रहें है अपनी रोटी सेख रहे हैं ..उनके साथ जो अपने आपको ज्याद पढ़ा लिखा समझते है वो मज़े लूट रहे हैं विकास सरकार ही करेगी उससी से ही होगा न की बंद कमरों में सिगरेट के धुंए और गांजे के नशे से और बेबात की बात पर धरना प्रर्दशन और हर बात पर सरकार को गाली देने से । देश में सब का विकास हो सब को हक मिले सब चाहते पर जो सही बात हो उसके साथ रहना चाहिए..वो ही हमारी विचारधारा होनी चाहिए।
Comments
JNU baba, other lal kurta dharis, and human right observeros wherea re you?? I want to listen from you..