इस बार

इस बार
जो बुरा हुआ उसे भूल जा
जो है उस के साथ चल
जिसने दर्द दिया
उसे दवा दे
जिसने ज़ख्म दिया
उसे मरहम दे
जिसने आंसू दिए
उसे सब्र दे
जिसने बाण छोड़ा
उसे बांह दे
जो बुरा हुआ उसे भूल जा
जो है उस के साथ चल।।
इस बार बदले गी सूरत
इस बार बदले गी मुर्त
इस बार बदले गी तस्वीर
इस बार बदले गी तकदीर
जो बुरा हुआ उसे भूल जा
जो है उस के साथ चल ।।

शान....

Comments

सुन्दर रचना है।बधाई।

आपको तथा आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
Udan Tashtari said…
सही है!!


वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-

नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल
उड़न तश्तरी

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