कब से ऐसी शाम न देखी
कब से ऐसी शाम न देखी
सूरज जब ढलता
गगन पर लाली होती
चिडियां घोंसले कि ओर चलती
गर्मी गायब होने को होती
कब से ऐसी शाम न देखी।।
.
आगन में पानी का छिड़कॉव होता
चारपाईयों को बिछाया जाता
हल्के रंग की चादर उनपर डाली जाती
फिर बैठ कर मौसम की बात होती
कब से ऐसी शाम न देखी।।
पिताजी के आने का वक्त होता
शर्माजी का आना भी लाज़मी होता
चांद मियां के चाय समोसे के साथ
बातो बातों मे सबकी चुटकी ले ली जाती
कब से ऐसी शाम न देखी ।।
क्या किया क्या न किया
दिनभर का हिसाब लिया जाता
लालू राजू को डाट पड़ती
शिकायतों की लम्बी फेरिस्त होती
कब से ऐसी शाम न देखी ।।
तू तू मै मै
हां हां न न
हंसते मुस्कुराते
अचानक कूकर की सीटी बज जाती
सबकी भूख जग जाती
कब से ऐसी शाम न देखी।।
ताज़ी सब्ज़ी के साथ
गर्म गर्म रोटी खाई जाती
थोड़ा टहल कर लम्बी डकार आती
एक अंगडाई के साथ नींद आ जाती
कब से ऐसी शाम न देखी ।.
शान।।।
सूरज जब ढलता
गगन पर लाली होती
चिडियां घोंसले कि ओर चलती
गर्मी गायब होने को होती
कब से ऐसी शाम न देखी।।
.
आगन में पानी का छिड़कॉव होता
चारपाईयों को बिछाया जाता
हल्के रंग की चादर उनपर डाली जाती
फिर बैठ कर मौसम की बात होती
कब से ऐसी शाम न देखी।।
पिताजी के आने का वक्त होता
शर्माजी का आना भी लाज़मी होता
चांद मियां के चाय समोसे के साथ
बातो बातों मे सबकी चुटकी ले ली जाती
कब से ऐसी शाम न देखी ।।
क्या किया क्या न किया
दिनभर का हिसाब लिया जाता
लालू राजू को डाट पड़ती
शिकायतों की लम्बी फेरिस्त होती
कब से ऐसी शाम न देखी ।।
तू तू मै मै
हां हां न न
हंसते मुस्कुराते
अचानक कूकर की सीटी बज जाती
सबकी भूख जग जाती
कब से ऐसी शाम न देखी।।
ताज़ी सब्ज़ी के साथ
गर्म गर्म रोटी खाई जाती
थोड़ा टहल कर लम्बी डकार आती
एक अंगडाई के साथ नींद आ जाती
कब से ऐसी शाम न देखी ।.
शान।।।
Comments
आँखों के आंसू धीरे धीरे धोते हैं
सीने में अब भी मचलते हैं अरमान
हम भीड़ में भी अकेले होते हैं
फुर्सत के पलों का गुजर गया ज़माना
शाम का फ़साना बन के रह गया अफसाना
WWAaaaaaaaahhhhh!!!!!!