किसी ने कहा 3

चरित्र से जो बोला जाएगा

किसी को बाहरी जानकारी देनी हो, सामाचार सुनाना हो, गणित, भूगोल पढ़ाना हो तो यह कार्य वाणी मात्र से भी हो सकता है, लिखकर भी किया जा सकता है और वह प्रयोजन आसानी से पूरा हो सकता है । पर यदि चरित्र निर्माण या व्यक्तित्व परिवर्तन करना है तो फिर उसके सामने आदर्श उपस्थित करना ही प्रभावशाली उपाय रह जाता है ।

प्रभावशाली व्यक्तित्व अपनी प्रखर कार्यपद्धति से अनुप्राणित करके दूसरों को अपना अनुयायी बनाते हैं । संसार के समस्त महामानवों का यही इतिहास है । उन्हें दूसरों से जो कहना था, कराना था, वह उन्होंने पहले स्वयं किया । उसी कर्तृत्व का प्रभाव पड़ा । बुद्ध, गॉंधी, हरिश्चन्द्र आदि ने अपने को एक साँचा बनाया, तब कहीं दूसरे खिलौने, दूसरे व्यक्तित्व उसमें ढलने शुरू हुए

Comments

Popular posts from this blog

woh subhah kab ayaegi (THEATRE ARTISTE OF INDIA)

33 प्रतिक्षत में आम मुस्लमान औरतों के हिस्से क्या... कुछ नहीं..