आपका रिश्ता खतरे में हैं
आपका रिश्ता खतरे में हैं
एक महीना कैसे बीत गया पता नहीं चला ... खुशी के साथ नाराज़गी का ज्यादा एहसास..कुछ लोग शायद दुनिया मे खुश रहने के लिए आये ही नहीं और मेरी किस्मत कहिये या बद किस्मती की ऐसे लोगो का वास्ता मेरी दुनिया में मेरे साथ काफी है ... खुश रहना कोई फलसफा है या कोई काहनी या गणित का ऐसा सवाल जिसका हल.. गुरू के भी पसीने छुड़ा दे ।सुबह देखो तो मुंह बना हुआ है शाम को देखो तो फिर से नफरत के भाव झलक रहे हैं कारण क्या है पूछने पर नहीं बताया जाता ।
माना हर इंसान के पास हर चीज़ नहीं होती पर ये भी तो सच्चाई है कि ऐसे भी इंसान है जिनके पास जो हो वो उसमें ही खुश रहते हैं।
हमारा दायरा यानि वो घेरा जिसमें हम अपना ज्यादा वक्त गुज़ारते हैं घर हुआ दफ्तर हुआ या फिर दोस्त ... इनके साथ ,इनके पास रहने से हमे किस चीज़ का एहसास होता है। किसी बंधन का, किसी कर्ज़ का, किसी फर्ज़ का, किसी बोझ का, या फिर खुशी का ... अगर खुशी का एहसास नहीं है तो सच मानिये आपका रिश्ता खतरे में हैं ।
अब इससे बड़ा सवाल ये उठता है आपको कैसे पता चले कि आप खुश हैं ... जी कई लोग बनावटी और दिखावे को ही खुशी का दरवाज़ा समझते हैं और कई बार कई तरह से कई ढंग से उससे आते जाते हैं इस मुबालते में कि वो खुश है और उन्होने दूसरों को भी खुशी दी पर ऐसे लोग बहुत जल्द दूसरा दरावाज़ा भी ढूंढते लेते हैं क्योकि खुशी उनके लिये सिर्फ दुनियादारी है।
खुशी संतुष्ठी है क्या..
खुशी एहसास है क्या
खुशी धोखा है क्या
खुशी जीने ज्ज़बा है क्या
खुशी जीने का ढंग है क्या
या फिर खुशी है ही नहीं सब धोखा है...।।
एक महीना कैसे बीत गया पता नहीं चला ... खुशी के साथ नाराज़गी का ज्यादा एहसास..कुछ लोग शायद दुनिया मे खुश रहने के लिए आये ही नहीं और मेरी किस्मत कहिये या बद किस्मती की ऐसे लोगो का वास्ता मेरी दुनिया में मेरे साथ काफी है ... खुश रहना कोई फलसफा है या कोई काहनी या गणित का ऐसा सवाल जिसका हल.. गुरू के भी पसीने छुड़ा दे ।सुबह देखो तो मुंह बना हुआ है शाम को देखो तो फिर से नफरत के भाव झलक रहे हैं कारण क्या है पूछने पर नहीं बताया जाता ।
माना हर इंसान के पास हर चीज़ नहीं होती पर ये भी तो सच्चाई है कि ऐसे भी इंसान है जिनके पास जो हो वो उसमें ही खुश रहते हैं।
हमारा दायरा यानि वो घेरा जिसमें हम अपना ज्यादा वक्त गुज़ारते हैं घर हुआ दफ्तर हुआ या फिर दोस्त ... इनके साथ ,इनके पास रहने से हमे किस चीज़ का एहसास होता है। किसी बंधन का, किसी कर्ज़ का, किसी फर्ज़ का, किसी बोझ का, या फिर खुशी का ... अगर खुशी का एहसास नहीं है तो सच मानिये आपका रिश्ता खतरे में हैं ।
अब इससे बड़ा सवाल ये उठता है आपको कैसे पता चले कि आप खुश हैं ... जी कई लोग बनावटी और दिखावे को ही खुशी का दरवाज़ा समझते हैं और कई बार कई तरह से कई ढंग से उससे आते जाते हैं इस मुबालते में कि वो खुश है और उन्होने दूसरों को भी खुशी दी पर ऐसे लोग बहुत जल्द दूसरा दरावाज़ा भी ढूंढते लेते हैं क्योकि खुशी उनके लिये सिर्फ दुनियादारी है।
खुशी संतुष्ठी है क्या..
खुशी एहसास है क्या
खुशी धोखा है क्या
खुशी जीने ज्ज़बा है क्या
खुशी जीने का ढंग है क्या
या फिर खुशी है ही नहीं सब धोखा है...।।
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