धीरे-धीरे

धीरे-धीरे
धीरे धीरे तुम होये मेरे
धीरे धीरे चंदा ढलहे
धीरे धीरे तारा चले
धीरे धीरे आसू बहे
धीरे धीरे लब हिले
धीरे धीरे नज़रों ने देखा
धीरे धीरे अपने हुये
धीरे धीरे पास आये
धीरे धीरे मुस्कुराये
धीरे धीरे और नज़दीकियां बढ़ी
धीरे धीरे धर्य टूटा
धीरे धीरे कुछ हुआ
धीरे धीरे फिर दूर हुये
धीरे धीर और दूर हूये
धीरे धीरे यादे आई
धीरे धीरे यादे रहीं
धीरे धीरे यादे उझल हुई
धीरे धीरे बस अब यूहीं
और अब यू भी नहीं....
धीरे धीरे अब कुछ नहीं होता
धीरे धीरे अब कुछ नही होगा
धीरे धीरे बहुत हुआ
धीरे धीरे अब खत्म
अब जो होगा तेज़ होगा
ज़बरदस्त होगा

Comments

सही है सभी कुछ धीरे धीरे ही हो रहा है।
लेकिन टिप्पणीयां हम तेजी से करने कि कोशिश करते हैं:))
Shikha Deepak said…
धीरे धीरे................ दिल को छू लिया। हाँ प्रभाव............ जबरदस्त हुआ। सुंदर कविता।

Popular posts from this blog

woh subhah kab ayaegi (THEATRE ARTISTE OF INDIA)

मुख्यमंत्री की बहू बनी कातिल....