चुनाव के बाद 500 टीवी पत्रकारों की नौकरी जायेगी..
चुनाव के बाद 500 टीवी पत्रकारों की नौकरी जायेगी..
टेलीविज़न इतिहास में इतना फिका चुनाव कभी नहीं रहा।एक तो कोई मुद्दा नही। .कुछ दिन तक वरुण चले फिर आडवाणी और मनमोहन की लड़ाई..आज़म ,अमर और जया की मुहब्बत और लड़ाई,टाइटलर और 1984 या फिर संजयदत्त..इन मामुली बातों को बहुत खीचा चनैलों ने ..जितन खीच सकते थे ।
इस बार पत्रकारों को बाहर शूट पर जाने पर पाबंदी हो गई ..जो कुछ मुफ्त का टूर होता है उसी मैं जाने की अनुमति मिल रही ..
दूसरा एक जो कारण है वो ये की पॉलीटिकल कार्यक्रम से टीआरपी नहीं आ पा रही यानि जनता को चुनावी खबरों में कोई रूची नहीं है ..
शुक्र है तालिबान है जो रोज़ी रोटी चला रहा है ..मैने 2009 के शुरूआत में लिखा था की 2009 बड़ा खतरनाक होगा.अब वो धीरे-धीरे सच हो रहा है ..कई चैनलों में इस्तिफा लेने का कार्यक्रम शुरू हो गया। कई चैनल बंद हो गये हैं । सैलरी तो हर चैनल में काटनी शुरू कर दी गई है ..बस चुनाव का इतंज़ार है ।लिस्ट बन चुकी है ।चुनाव के परिणाम का इंतज़ार हैं..जहा रिज़ेल्ट आया वही पत्रकारों को त्याग पत्र देने का कहा जायेगा। जुलाई मैं आफत आई...इस लिये दोस्त अपने काम से प्यार करों संस्थान से नहीं..।
टेलीविज़न इतिहास में इतना फिका चुनाव कभी नहीं रहा।एक तो कोई मुद्दा नही। .कुछ दिन तक वरुण चले फिर आडवाणी और मनमोहन की लड़ाई..आज़म ,अमर और जया की मुहब्बत और लड़ाई,टाइटलर और 1984 या फिर संजयदत्त..इन मामुली बातों को बहुत खीचा चनैलों ने ..जितन खीच सकते थे ।
इस बार पत्रकारों को बाहर शूट पर जाने पर पाबंदी हो गई ..जो कुछ मुफ्त का टूर होता है उसी मैं जाने की अनुमति मिल रही ..
दूसरा एक जो कारण है वो ये की पॉलीटिकल कार्यक्रम से टीआरपी नहीं आ पा रही यानि जनता को चुनावी खबरों में कोई रूची नहीं है ..
शुक्र है तालिबान है जो रोज़ी रोटी चला रहा है ..मैने 2009 के शुरूआत में लिखा था की 2009 बड़ा खतरनाक होगा.अब वो धीरे-धीरे सच हो रहा है ..कई चैनलों में इस्तिफा लेने का कार्यक्रम शुरू हो गया। कई चैनल बंद हो गये हैं । सैलरी तो हर चैनल में काटनी शुरू कर दी गई है ..बस चुनाव का इतंज़ार है ।लिस्ट बन चुकी है ।चुनाव के परिणाम का इंतज़ार हैं..जहा रिज़ेल्ट आया वही पत्रकारों को त्याग पत्र देने का कहा जायेगा। जुलाई मैं आफत आई...इस लिये दोस्त अपने काम से प्यार करों संस्थान से नहीं..।
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