गाली दो..क्योकि हम मॉडर्न है ..
गाली दो..क्योकि हम मॉडर्न है ..
पिछले कुछ सालो से कुछ नये शब्दों का जन्म हुआ..जैसे फट गई ...लग गई...उसने तो ले ली ..बी-सी..एम-सी ,फक ऑफ..लगे रहो .बजाते रहो...फाड देगा...औऱ भी बहुत जो कम से कम मैं लिख नही सकता ...ये सब बोलने वाले अपने को मॉर्डन कहते हैं।
मैं दिल्ली की अच्छी सोसाइटी में रहता हूं.. अच्छा इस लिये कह रहा हूं की दिल्ली है और जो लोग रहते सब के पास मंहगी गाडी है अच्छी नौकरी करते हैं ..उमंदा कपड़े पहनते हैं औऱ बच्चे नामी स्कूलों में पढतें हैं...
कल की बात है मैं घर के पास टहल रहा था तो बच्चे एक जगह से कूद रहे थे ..एक लड़का कूदने से डर रहा था..तो बाकी बच्चे बोल रहे थे देख इस की फट रही है ..देख देख फट रही है..उनके साथ उनके मां बाप भी हंस रहे थे ।
जिस ऑफिस में काम करता हूं वहां देश के कई महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा होती और ख़ास बात ये हमारा ऑफिस महिला प्रधान है पर हर औरत की जुबांन पर फक ऑफ रहता है हमेशा..
इस साल ऑफिस के काम के बाद घर पर खाली समय बिताने का वक्त मिल रहा है ..इसी दौरान मैं टीवी में आने वाले कई रियलटी शो देख रहा हूं .उनमें से एक एमटीवी रोडीज़ भी है ..वहा पर सब की भाषा ऐसी की सुनने में बहुत अजीब लगे ।
एक प्रतियोगी पलक बोल रही है उसने अपनी बहन..चो.....एक राष्ट्रीय चैनल में इस तरह के शब्द .हम क्या दिखा रहे हैं और क्यो दिखा रहे है..
जब मैने ये बात एक समूह के लोगों के सामने रखी तो वो सब बोले भाई ये टशन है जो मन है वो बोल दो ..साफ –साफ बोलो.. पर ये भाषा किस के लिये। क्या सच गाली के मध्यम से ही सुनाया जाता है और आज के दौर में आप गाली देगें तो आप मॉर्डन कह लायेगें...
और अब तो आमीर ख़ान भी टाटा स्काइ वालो को गाली देते दिख रहे हैं.. रेडियो पर भी इन्ही शब्दों को प्रसारण हो रहा है ।...आने वाले सालों मै हम क्या बोल रहे होगें वो आप खुद समझ गये होगें....
पिछले कुछ सालो से कुछ नये शब्दों का जन्म हुआ..जैसे फट गई ...लग गई...उसने तो ले ली ..बी-सी..एम-सी ,फक ऑफ..लगे रहो .बजाते रहो...फाड देगा...औऱ भी बहुत जो कम से कम मैं लिख नही सकता ...ये सब बोलने वाले अपने को मॉर्डन कहते हैं।
मैं दिल्ली की अच्छी सोसाइटी में रहता हूं.. अच्छा इस लिये कह रहा हूं की दिल्ली है और जो लोग रहते सब के पास मंहगी गाडी है अच्छी नौकरी करते हैं ..उमंदा कपड़े पहनते हैं औऱ बच्चे नामी स्कूलों में पढतें हैं...
कल की बात है मैं घर के पास टहल रहा था तो बच्चे एक जगह से कूद रहे थे ..एक लड़का कूदने से डर रहा था..तो बाकी बच्चे बोल रहे थे देख इस की फट रही है ..देख देख फट रही है..उनके साथ उनके मां बाप भी हंस रहे थे ।
जिस ऑफिस में काम करता हूं वहां देश के कई महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा होती और ख़ास बात ये हमारा ऑफिस महिला प्रधान है पर हर औरत की जुबांन पर फक ऑफ रहता है हमेशा..
इस साल ऑफिस के काम के बाद घर पर खाली समय बिताने का वक्त मिल रहा है ..इसी दौरान मैं टीवी में आने वाले कई रियलटी शो देख रहा हूं .उनमें से एक एमटीवी रोडीज़ भी है ..वहा पर सब की भाषा ऐसी की सुनने में बहुत अजीब लगे ।
एक प्रतियोगी पलक बोल रही है उसने अपनी बहन..चो.....एक राष्ट्रीय चैनल में इस तरह के शब्द .हम क्या दिखा रहे हैं और क्यो दिखा रहे है..
जब मैने ये बात एक समूह के लोगों के सामने रखी तो वो सब बोले भाई ये टशन है जो मन है वो बोल दो ..साफ –साफ बोलो.. पर ये भाषा किस के लिये। क्या सच गाली के मध्यम से ही सुनाया जाता है और आज के दौर में आप गाली देगें तो आप मॉर्डन कह लायेगें...
और अब तो आमीर ख़ान भी टाटा स्काइ वालो को गाली देते दिख रहे हैं.. रेडियो पर भी इन्ही शब्दों को प्रसारण हो रहा है ।...आने वाले सालों मै हम क्या बोल रहे होगें वो आप खुद समझ गये होगें....
Comments
सच कहता हूँ तो इल्जाम है बगावत का।
चुप रहूँ तो बेबसी सी होती है।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
मेरी कलम - मेरी कलम
best wishes
i m just listening pink fLoyd..
techer leave us alone(another brick in the wall) india is in great need of that kind of stuff......
rahul