सब ने कहा आडवाणी बाय-बाय
सब ने कहा आडवाणी बाय-बाय
बीजेपी ने मानी हार आडवाणी नही बन सके पीएम..
2009 शुरू हुआ जो बीजेपी ने राग रागा की उनके पीएम होगें लाल कृष्णा आडवाणी ..मंच सज गया ..लाईट साउड और एक्शन फिल्म शुरू ,परोमो भी बना प्रसून जोशी ने पंक्तिया भी दे दी मज़बूत नेता निर्णायक सरकार ..आडवाणी जी ने अपने पहले संवाद मे ही दूसरी फौज के सरदार को कमज़ोर भी कहा ..और अपने को बहादुर भले ही कंधार और गुजरात के मामले को गोल-गोल घुमा दिया हो ..
नाटक चल रहा था ..धड़ा धड़ा प्रचार हो रहा था ..उमा भारती की एंटरी भी हो जाती है ..वरूण गांधी का भाषण और युवा चेहरा उनके साथ जुड़ जाता है दो बार उनकी रैली मे चप्पल और खडाऊ भी चलाये जाते हैं ...पर दोस्त आजकल तो टीआरपी का ज़माना है ..कोई भी अभिनेता या नेता बेकार हैं अगर उसके शो की टीआरपी न आ रही हो .. और अगर ज्यादा वक्त तक टीआरपी न मिले तो प्रो़डयूसर दूसरा शो लाता या फिर मुख्य किरदार को बदलने का इरादा जताता है ..यही बीजेपी ने किया ..2009 के चुनाव मे भले ही वो कहे या न कहे उन्होने अपनी हार मान ही ली है ..आ़डवाणी जी को उनके ही क्षेत्र गांधीनगर से कांग्रेस के पटेल से कड़ी चुनौती मिल रही है ...आडवाणी ये चुनाव जैसे तैसे जीत जायेगे पर पीएम का चुनाव हार ही गये ये बीजेपी ने मान ली ।
तभी तो शौरी से शुरू हुआ मोदी राग ..रविशंकर ,जेटली तक जारी रहा फिर किसी ने राजनाथ का तो किसी ने सुषमा तक का नाम ले लिया ..यानि आडवाणी जी के जो सपने पीएम बनने के थे वो सपने ही रहेगे ये सपने उन्ही की पार्टी के लोगों को ही नही भाये .. सब ने कहा आडवाणी बाय-बाय
बीजेपी ने मानी हार आडवाणी नही बन सके पीएम..
2009 शुरू हुआ जो बीजेपी ने राग रागा की उनके पीएम होगें लाल कृष्णा आडवाणी ..मंच सज गया ..लाईट साउड और एक्शन फिल्म शुरू ,परोमो भी बना प्रसून जोशी ने पंक्तिया भी दे दी मज़बूत नेता निर्णायक सरकार ..आडवाणी जी ने अपने पहले संवाद मे ही दूसरी फौज के सरदार को कमज़ोर भी कहा ..और अपने को बहादुर भले ही कंधार और गुजरात के मामले को गोल-गोल घुमा दिया हो ..
नाटक चल रहा था ..धड़ा धड़ा प्रचार हो रहा था ..उमा भारती की एंटरी भी हो जाती है ..वरूण गांधी का भाषण और युवा चेहरा उनके साथ जुड़ जाता है दो बार उनकी रैली मे चप्पल और खडाऊ भी चलाये जाते हैं ...पर दोस्त आजकल तो टीआरपी का ज़माना है ..कोई भी अभिनेता या नेता बेकार हैं अगर उसके शो की टीआरपी न आ रही हो .. और अगर ज्यादा वक्त तक टीआरपी न मिले तो प्रो़डयूसर दूसरा शो लाता या फिर मुख्य किरदार को बदलने का इरादा जताता है ..यही बीजेपी ने किया ..2009 के चुनाव मे भले ही वो कहे या न कहे उन्होने अपनी हार मान ही ली है ..आ़डवाणी जी को उनके ही क्षेत्र गांधीनगर से कांग्रेस के पटेल से कड़ी चुनौती मिल रही है ...आडवाणी ये चुनाव जैसे तैसे जीत जायेगे पर पीएम का चुनाव हार ही गये ये बीजेपी ने मान ली ।
तभी तो शौरी से शुरू हुआ मोदी राग ..रविशंकर ,जेटली तक जारी रहा फिर किसी ने राजनाथ का तो किसी ने सुषमा तक का नाम ले लिया ..यानि आडवाणी जी के जो सपने पीएम बनने के थे वो सपने ही रहेगे ये सपने उन्ही की पार्टी के लोगों को ही नही भाये .. सब ने कहा आडवाणी बाय-बाय
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