2014 बदायूं गैंगरेप
2014 बदायूं गैंगरेप का आरोपhttps://youtu.be/KYQgMBjIUOM
2014 में, उत्तर प्रदेश में घटी एक घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।
27 मई की रात बदायूं के कटरा सआदतगंज गांव में 14 और 15 साल की दो चचेरी बहनों के शव आम के पेड़ से लटके मिले थे। शाम करीब सात बजे दोनों बहनें शौच के लिए खेतों की ओर निकलीं थी। घर वापस नहीं आने पर रात को घर वाले चौकी में शिकायत करने भी गए लेकिन उन्हें भगा दिया गया। सुबह करीब साढ़े तीन बजे बाग में दोनों के शव पेड़ से लटके मिले।
लोगों का आरोप था कि आरोपियों के यादव होने की वजह से पुलिस उनका पक्ष ले रही है और मामले को दबाने का प्रयास कर रही है। पुलिस ने अपनी एफआईआर में उनके साथ गैंगरेप के बाद हत्या का मामला दर्ज किया। इस मामले में गांव के तीन सगे भाइयों और दो पुलिस कर्मियों समेत सात के खिलाफ हत्या, बलात्कार की धाराओं के अलावा पाक्सो एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज किया गया था।
पीड़ित परिवार ने सरकार से सीबीआई जांच की मांग की थी और मामला सीबीआई को सौंप दिया गयासीबी। सीबीआई ने 19 जुलाई के लिए शव निकालने की कोशिश की, पर शवों को निकाल ही नहीं सकी। गंगा का जल स्तर बढ़ने की वजह से दोनों कब्रें जलमग्न हो गई थीं। सीबीआई के मेडिकल बोर्ड ने भी बिना दोबारा पोस्टमार्टम के तमाम रिपोर्ट दे दीं और लड़कियों के साथ रेप होने की बात से इंकार कर दिया।
पॉलीग्राफी टेस्ट में गवाहों और पीड़ित परिवार के बयानों में विरोधाभास था, जबकि मुख्य गवाह बाबूराम उर्फ नजरू टेस्ट में फेल हो गया था। पॉलीग्राफी टेस्ट में मुख्य आरोपी पप्पू यादव के बयानों को सच करार दिया गया।
सीबीआई का कहना था कि दोनों बहनों के साथ न तो दुष्कर्म हुआ था और न ही उनकी हत्या की गई थी। दोनों बहनों ने आत्महत्या की थी।
आरोपियों को छोड़ दिया गया। जांच अनिर्णायक थी और क्लोजर रिपोर्ट की कड़ी आलोचना हुई थी। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय शर्म से बचने के लिए सीबीआई रिपोर्ट को कवर-अप के रूप में देखा।
और भी सनसनीखेज खबरों के लिए देखते रहें, कानून और अपराध में दीपा की रिपोर्ट
2014 में, उत्तर प्रदेश में घटी एक घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।
27 मई की रात बदायूं के कटरा सआदतगंज गांव में 14 और 15 साल की दो चचेरी बहनों के शव आम के पेड़ से लटके मिले थे। शाम करीब सात बजे दोनों बहनें शौच के लिए खेतों की ओर निकलीं थी। घर वापस नहीं आने पर रात को घर वाले चौकी में शिकायत करने भी गए लेकिन उन्हें भगा दिया गया। सुबह करीब साढ़े तीन बजे बाग में दोनों के शव पेड़ से लटके मिले।
लोगों का आरोप था कि आरोपियों के यादव होने की वजह से पुलिस उनका पक्ष ले रही है और मामले को दबाने का प्रयास कर रही है। पुलिस ने अपनी एफआईआर में उनके साथ गैंगरेप के बाद हत्या का मामला दर्ज किया। इस मामले में गांव के तीन सगे भाइयों और दो पुलिस कर्मियों समेत सात के खिलाफ हत्या, बलात्कार की धाराओं के अलावा पाक्सो एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज किया गया था।
पीड़ित परिवार ने सरकार से सीबीआई जांच की मांग की थी और मामला सीबीआई को सौंप दिया गयासीबी। सीबीआई ने 19 जुलाई के लिए शव निकालने की कोशिश की, पर शवों को निकाल ही नहीं सकी। गंगा का जल स्तर बढ़ने की वजह से दोनों कब्रें जलमग्न हो गई थीं। सीबीआई के मेडिकल बोर्ड ने भी बिना दोबारा पोस्टमार्टम के तमाम रिपोर्ट दे दीं और लड़कियों के साथ रेप होने की बात से इंकार कर दिया।
पॉलीग्राफी टेस्ट में गवाहों और पीड़ित परिवार के बयानों में विरोधाभास था, जबकि मुख्य गवाह बाबूराम उर्फ नजरू टेस्ट में फेल हो गया था। पॉलीग्राफी टेस्ट में मुख्य आरोपी पप्पू यादव के बयानों को सच करार दिया गया।
सीबीआई का कहना था कि दोनों बहनों के साथ न तो दुष्कर्म हुआ था और न ही उनकी हत्या की गई थी। दोनों बहनों ने आत्महत्या की थी।
आरोपियों को छोड़ दिया गया। जांच अनिर्णायक थी और क्लोजर रिपोर्ट की कड़ी आलोचना हुई थी। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय शर्म से बचने के लिए सीबीआई रिपोर्ट को कवर-अप के रूप में देखा।
और भी सनसनीखेज खबरों के लिए देखते रहें, कानून और अपराध में दीपा की रिपोर्ट
Comments